बिहार में टॉपर घोटाले के नाम पर हायतोबा मचने की कहानी शायद ही बिहार के लोग भूले होंगे. सूबे में शिक्षा व्यवस्था किस कदर खराब हो चुकी है, इसे जानने के लिए वहां के प्राशमिक पाठशाला में पढ़ा रहे शिक्षक और शिक्षिकाओं के ज्ञान को बस परख भर लेने की जरूरत है. सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. बिहार के कटिहार में न्यूज 18 ने जब इन शिक्षकों का रियलिटी चेक किया तो सारे शिक्षक फेल हो गए और पूरा का पूरा शिक्षा विभाग औंधे मुंह पड़ा नजर आया. शिक्षिकाएं जनवरी से लेकर दिसंबर तक और संडे-मंडे भी नहीं लिख पा रहीं थीं. ऐसे में ये सवाल उभरता है कि क्या इन शिक्षिकाओं के पास कक्षा एक-दो के बच्चे को भी पढ़ाने की योग्यता है. वैसे यह आरोप हम नहीं लगा रहे है. इसके लिए हमारे पास जो सबूत हैं, उसे देखकर एक बार फिर बिहार का शिक्षा विभाग शर्मसार हो जाए. कटिहार मनिहारी अनुमंडल के हेमकुंज मध्य विद्यालय किशनपुर में पढ़ने वाले 438 बच्चों के भविष्य इन्हीं टीचरों के हाथों में है, जो इन बच्चों को पढ़ाने के लायक नहीं हैं. रियलिटी चैक के दौरान फेल हो गईं इन टीचरों को देखकर कहा जा सकता है कि वाकई बिहार शिक्षा व्यवस्था अपने काले वर्तमान से गुजर रही है, जो बेहद कमजोर नींव तैयरा कर रही है. ऐसे में बिहार किस तरह से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा, इसका जवाब तो बिहार के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी ही दे पाएंगे, लेकिन एक बात तो बिल्कुल साफ है कि बिहार के प्राथमिक स्कूल में शिक्षा लेने छात्रों के लिए आगे की राह बेहद कठीन रहने वाली है.
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